Sunil Mittal Biography in Hindi

SHORT BIOGRAPHY
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Sunil Mittal

सुनील भारती मित्तल एक भारतीय उद्योगपति, समाज सेवी और भारत के सबसे बड़े टेलीकॉम कंपनी एयरटेल के चेयरमैन हैं। उनका नाम दुनिया के गिने-चुने टेलीकॉम उद्यमियों में शुमार किया जाता है। सुनील की कंपनी भारती एयरटेल दुनिया के सबसे बड़े टेलीफोन कंपनियों में से एक है, जिसका व्यापर लगभग 19 देशों में फैला है।


सुनील मित्तल (Sunil Mittal) का प्रारंभिक जीवन-Early Life

 

सुनील मित्तल (Sunil Mittal) का जन्म 23 अक्टूबर 1957 को पंजाब के लुधिआना जिले में हुआ था। उनके पिता का नाम सतपाल मित्तल है जबकि उनकी माता का नाम ललिता मित्तल है। वे एक पंजाबी अग्रवाल परिवार से संबंध रखते हैं।उनके पिता सतपाल मित्तल एक राजनेता थे, और दो बार लोक सभा से और एक बार राज्य सभा से सांसद रह चुके थे। सुनील मित्तल ने अपना पहला बिज़नेस मात्र 18 साल की उम्र में ही वर्ष 1976 में शुरू कर दिया था। उनका पहला व्यवसाय, पड़ोस के बाइक उत्पादकों के लिए क्रैंकशाफ्ट बनाने का था।


शिक्षा-Education

 

सुनील मित्तल की प्रांरभिक शिक्षा विनबर्ग एलन स्कूल, मसूरी (Wynberg Allen School in Mussoorie) और ग्वालियर के सिंधिया स्कूल (Scindia School at Gwalior) से पुरी की। उसके बाद उन्होंने अपनी कॉलेज की पढ़ाई पंजाब यूनिवर्सिटी, चंडीगढ़ और आर्य कॉलेज, लुधियाना से पूरी की, जिसमें उन्होंने आर्ट्स एंड साइंस में बैचलर की डिग्री प्राप्त की है।


सुनील मित्तल (Sunil Mittal)करियर-Career 

 


सुनील मित्तल ने महज 18 साल की उम्र में ही अपना कारोबार शुरू कर दिया था। उन्होंने अपने दोस्तों के साथ मिल कर मात्र 20 हजार रुपए से एक छोटा-सा साइकिल का बिजनेस शुरू किया और सबसे पहले ब्रजमोहन मुंजाल की हीरो साइकिल कंपनी के लिए साइकिल के पार्ट्स बनाने का काम शुरू किया। 


 


इसके बाद सुनील को ये लगने लगा कि, ये व्यवसाय ज्यादा बड़ा नहीं हो सकता। उसके बाद उन्होंने अपने भाईयों के साथ मिलकर ‘भारती ओवरसीज ट्रेडिंग कंपनी” नाम कि एक कंपनी कि स्थापना की। उन्होंने अपने साइकिल और दूसरे धंधों को बेच दिया और मुंबई चले गए। वर्ष 1981 में उन्होंने पंजाब के निर्यातकों से इम्पोर्ट लाइसेंस खरीदा और जापान से आयातित पोर्टेबल जेनरेटरों कि बिक्री करने लगे। इस व्यवसाय से उन्हें वस्तुओं के मार्केटिंग और सेल्स का बहुत अनुभव प्राप्त हुआ। धीरे-धीरे उनका यह व्यवसाय भी चल पड़ा। सब सब कुछ ठीक-ठाक चल रहा था, लेकिन सरकार कि एक नीति मे बदलाव ने उनके इस व्यापार को रातों-रात ठप्प कर दिया। यह दौर था लाइसेंस-राज का। सरकार ने जेनरेटर के आयात पर रोक लगा दी, क्योंकि दो भारतीय कंपनियों को देश में ही जेनरेटर बनाने का लाइसेंस दे दिया गया था।इस घटना से सुनील के बिजनेस को नुकसान तो हुआ, लेकिन उन्होंने इससे यह सबक लिया कि आगे जब भी इस तरह का अवसर आएगा, तो वे उसका फायदा उठाने को तैयार रहेंगे।


भारती एयरटेल (Bharti Airtel) की स्थापना-Establishment of Bharti Airtel

 


वर्ष 1992 में वो समय भी आया, जब सरकार पहली बार मोबाइल फोन सेवा के लिए लाइसेंस बांट रही थी। सुनील इस अवसर के लिए तो तैयार थे हीं और जब यह मोका आया तब उन्होंने उस अवसर को लपक लिया और उसके आगे सब इतिहास है।

वर्ष 1986 में सुनील मित्तल ने ‘भारती टेलीकॉम लिमिटेड’ (बीटीएल) की स्थापना की थी, जिसके तहत उन्होंने जर्मनी की AG सीमेंस कंपनी के साथ पुश बटन फ़ोन के निर्माण के लिए करार किया था। धीरे-धीरे अपने कारोबार को बढ़ाते हुए 1990 के दशक तक, सुनील की कंपनी फैक्स मशीन, तार रहित फोन और अन्य दूरसंचार उपकरण बनाने लगी थी।


 


वर्ष 1992 में भारत सरकार द्वारा पहली बार लोगों के लिए मोबाइल फोन सेवाओं के लिए लाइसेंस शुरू करने के बाद सुनील मित्तल ने फ्रेंच दूरसंचार समूह विवेंडी के सहयोग से दिल्ली क्षेत्र के साथ-साथ कुछ अन्य क्षेत्रों का भी सेलुलर लाइसेंस प्राप्त कर लिया। 

वर्ष 1995 में सुनील मित्तल ने सेल्युलर सेवाएँ देने के लिए भारती सेल्युलर लिमिटेड (बीसीएल) की स्थापना की, और एयरटेल ब्रांड के तहत कार्य शुरू किया। जल्द ही, उनकी कंपनी, एयरटेल 2 लाख मोबाइल ग्राहकों का आंकड़ा पार कर लिया, और इसी के साथ उनकी यह कंपनी ऐसा करने वाली पहली दूरसंचार कंपनी बन गई। इसके बाद भारती सेल्यूलर लिमिटेड ने ‘इंडियावन’ नाम से भारत की पहली निजी राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय लंबी दूरी (STD एवं ISD) टेलीफोन सेवा प्रारम्भ की।वर्ष 2008-2009 में ‘भारती टेलीकॉम’ ने दक्षिणी अफ्रीका कि एक टेलीकॉम समूह ‘MTN’ के अधिग्रहण की कोशिश की, लेकिन कई बार के बातचीत के बावजूद दोनों कंपनियों के बीच कोई समझौता नहीं हो पाया। कुछ सूत्रों का ऐसा कहना था की, दक्षिणी अफ़्रीकी सरकार शायद यह नहीं चाहती थी, जिसकी वजह से यह समझौता नहीं हो पाया।

जून 2010 में, मित्तल के नेतृत्व में भारती टेलीकॉम ने दक्षिण अफ्रीका कि ही एक टेलीकॉम कंपनी ‘जैन टेलीकॉम’ का अधिग्रहण किया। यह अधिग्रहण अभी तक का किसी भी भारतीय दूरसंचार कंपनी द्वारा सबसे बड़ा अधिग्रहण था।

इसके बाद, वर्ष 2012 में भारती ने अमेरिकी कंपनी वॉल-मार्ट के साथ भारत भर में खुदरा स्टोर खोलने का करार किया। लेकिन यह करार ज्यादा समय तक नहीं चल सका और लगभग एक साल मे ही अक्टूबर 2013 को यह डील समाप्त हो गयी। इसके बाद ‘भारती एयरटेल’ ने वर्ष 2014 में ‘लूप मोबाइल’ को भी लगभग 700 करोड़ में खरीदने की घोषणा की पर बाद में सौदा रद्द कर दिया। मई 2015 में भारती रिटेल श्रंखला ‘ईज़ीडे’ और फ्यूचर बाजार के ‘बिग बाजार’ के विलय की घोषणा कि गई।


सुनील मित्तल (Sunil Mittal) को मिले पुरस्कार और सम्मान-Awards

 


  *2005 में टेलीकॉम एशिया पुरस्कार

  *2005 में सर्वश्रेष्ठ एशियाई टेलीकॉम सीईओ।

  *2005 में भारत संस्थागत निवेशक

  *2005 में “सर्वश्रेष्ठ सीईओ”।

  *2005 में इकनोमिक टाइम्स- 2005, के “बिज़नेस लीडर ऑफ़ द ईयर” का अवार्ड।

  *2006 में फॉर्च्यून पत्रिका ने “एशिया बिजनेसमैन ऑफ़ द ईयर” से सम्मानित किया।

  *2006 में वॉयस एवं डाटा ने 2006 में “टेलीकॉम मैन ऑफ़ द ईयर” चुना।

  *2006 में फ्रॉस्ट और सुलिवन एशिया प्रशांत आईसीटी पुरस्कार, 

  *2006 में ‘सीईओ ऑफ़ द ईयर”।

  *2007 में भारत सरकार ने ‘पद्म भूषण’ से सम्मानित किया।

  *2007 में एनडीटीवी बिजनेस लीडर पुरस्कार के तहत उन्हें “ट्रांसफॉर्मिंग इंडिया लीडर” पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

  *2007 में जीएसएमए अध्यक्ष के पुरस्कार से सम्मानित।

  *2010 में एशियाई पुरस्कार, 2010 में “फिलैंथ्रॉपिस्ट ऑफ़ द ईयर”।


कुल सप्ती-Net Worth


सुनील भारती मित्तल को फोर्ब्स ने 2023 में भारत के सबसे अमीर लोगों की लिस्ट में 10वें नंबर पर रखा था। अनुमान है कि बिजनय टायकून मित्तल की नेट वर्थ करीब 14.8 बिलियन अमेरिकी डॉलर (करीब 14,800,000,000 रुपये) है






 

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